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हे हृदय प्रिया!.......

........ हे हृदय प्रिया!.......

सुंदरता में भी सुंदरतम कृति हो तुम
आई हुई स्वर्ग की अनुपम छवि हो तुम
ऋतुओं मे सावन सी मन भावन हो तुम
प्राकृतिक सौंदर्य मे भी सर्वोत्तम  हो तुम

गंगा सी निर्मल,चांदनी सी धवल हो तुम
मानसरोवर में जैसे खिला कमल हो तुम
सुंदरता की अप्रतिम कला सी हो तुम
बेदाग हृदय की स्फटिक शिला सी हो तुम

लजाती गौरवर्ण को श्यामल मेघ सी हो तुम
बरसती प्रेम रस की मधुर बूंद सी हो तुम
करुणा,दया से भरी,मृदु भाषिणी हो तुम
सलिल के कंठ की लरजती निर्झरणी हो तुम

शब्द नही कि लिखूं दो शब्द वर्णन मे
लाली हो भोर की ,संध्या की वंदन हो तुम
सौंदर्य की देवी मानो,प्रकृति भी पूर्ण हो तुम
मेरे जीवन के हर पथ पर समूर्ण हो तुम

तुमको पाकर ही अब पूर्ण हुआ मेरा जीवन
इस जीवन धन की पूर्ण श्वास हो तुम
है हृदय प्रिया !मन की मेरी तुम ही प्रभा हो
सभी कलाओं मे सजी धजी तुम प्रतिभा हो
........................
मोहन तिवारी,मुंबई

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

05-Nov-2023 10:03 PM

Nice 👍🏼

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बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

05-Nov-2023 07:15 AM

👌👏

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